Thursday, January 27, 2011

जिन्दगी का एक ये भी पहलु.........


 ..जिन्दगी में भी अजीब रंग होते है कभी ख़ुशी के तो कभी गम. कभी हसाती है तो कभी रुलाती है ये जिंदगी,कभी रूठना तो कभी मानना लगा ही रहता है उसी तरह पसंद और न पसंद भी जिन्दगी का ही एक हिस्सा है कब क्या चीज पसंद आ जाये और कब क्या नपसंद हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता क्योकि ये तो हमारी मर्जी पर आश्रित होता है ठीक उसी तरह हमारी जिन्दगी का हिस्सा है चश्मा सुनने में तो अजीब लगता है पर क्या कर सकते है क्यों की सच तो ऐसा ही होता है कभी डाट पड़ती है चश्मा लगाने के लिए तो कभी न लगाने के लिए इसीलिए तो कहते है की जिंदगी बहुत रंग दिखाती है या कह सकते है की हर सिक्के के दो पहलु होते है जब हम छोटे थे और घर में दादा ,दादी, नाना,नानी या फिर पापा जिनके भी चश्मा लगा हो उनका चश्मा चोरी से लगाते पकडे गए तो बहुत डाट पड़ती थी और अगर हम टी. वी. पास से देखते मिल गए मम्मी को तब तो समझो सामत आ गई क्योकि पास से टी. वी. देखने से आँखे खराब होने का डर रहता है यानी की ले-दे कर चश्मे पर ही बात अटकती है और अगर कही चश्मा लग गया है और तब नहीं लगाया है तब भी क्रोध का शिकार बनना पड़ता है ये तो बात थी घर की . और अगर बात करे चश्मों की तो चश्मा भी किसी भी प्रकार से किसी से काम नहीं है अरे चश्मे भी एक से एक आते है फैशन में भी और जिनकी आँखे कमजोर है उनके लिए भी कई तरह के चश्मे आते है जो देखने में भी अछे लगते है जैसे गोल , चौकोर , आयताकार अरे अब तो हम अपनी पसंद और नपसंद के चश्मे पहन सकते है . एक था चश्मा गाँधी जी का और आज के चश्मे जैसे "प्यार इम्पोसिबिल" में'प्रियंका चोपड़ा'और'उदय चोपड़ा'ने लगाया इसे भी देखकर लोगो ने इसी पसंद किया और बहुतो को लगाये भी देखा गया और वही कुछ पीछे नज़र डाली जाये तो फिल्म मुहब्बतें में शाहरुख़ खान का चश्मा भी पसंद किया गया ये तो बात थी उन चश्मों की जिन्हें हम तब लगाते जब हमारी आँखे कमजोर होती है चश्मे भी कई रंग के आते है काला,पीला, लाल, भूरा, मैरून, रंग के शीशे होते है जैसे अभी हाल ही में आई फिल्म "एक्शन रिप्ले" जिसमे भी 'अक्षय कुमार'और'ऐश्वर्या राय बच्चन 'ने भी काफी पुराने फैशन को दोबारा लाने की कोशिश की है ये बात अलग है की फिल्म हित नहीं हुई है ऐसी ही बहुत सी फिल्म है जिनमे चश्मों का अच्छा खासा इस्तेमाल हुआ है जैसे की "ॐ शांति ॐ ""डान" आदि और वैसे भी फिल्मो का आधे से ज्यादा फैशन पब्लिक ही अपनाती है आज-कल के लोग गाडी चलाते समय हेलमेट से ज्यादा लोग चश्मा लगाना पसंद करते है फैशन का फैशन हो जाता है साथ ही साथ आँखों का बचाओ भी हो जाता है ."चश्मा ओ चश्मा तेरे भी रूप अनेक"  क्योकि चश्मा ऐसी चीज है जो चेहरे की शोभा बड़ा भी सकती है तो घटा भी सकती है ..........जरा संभाल कर अपनाये अपना चश्मा .  

2 comments:

Mukul said...

नीतू अच्छा प्रयास देखा लिखना लिखने से आता है जारी रहो
बधाई
सुन्दर प्रस्तुति

Bhawna Tewari said...

nice attempt dear...