Saturday, February 19, 2011

रिश्तो में भी एक अजीब रिश्ता "मम्मी"

"लब्जो पे उसके कभी बदुआ नहीं आती ,
बीएस एक माँ है जो हमसे कभी खफा नहीं होती "
A Mother's Love"होता है रिश्तो में एक अजीब रिश्ता जो कहलाता है माँ " सच में इस रिश्ते का कोई मुकाबला नहीं है कोई भी हो वो अगर उससे पुचा जाए की ये बताओ की तुम सबसे ज्यादा किस से  प्यार करते हो इस पूरी दुनिया में, तो शायद उसका जवाब होता है माँ और मुझे नहीं लगता की ये कोई किताबी बात है क्योकि मम्मी का नाम ही काफी होता है एक बच्चे के लिए कहते है माँ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही एक सकूँ सा महसूस होता है और ये सच है और ये एक ऐसा शब्द है जिसे बोलकर मनं से ही इस एहसास को समझा जा सकता है एहसास एक पर नाम अनेक जैसे माँ,मम्मी,अम्मी पर मिठास तो वही मिलती है चाहे कुछ भी कहा जाए, ऐसा नहीं है की अलग -अलग नाम पुकारने पर ममता का एहसास  अलग-अलग हो जाता है
               क्या कभी सोचा है किसी ने की एक छोटा बच्चा अगर रो रहा हो और उसकी मम्मी ने दूर बैठे ही बोल दिया की "आले ले ले त्या हुआ मेले बाबु तो त्यों लो लाहा है "बच्चा इतनी शांति से सुनने लगता है जैसे किसी ने उसे न जाने क्या दे दिया जो वो इतने ध्यान से सुनने लगा है है न एक अजीब बात और ये सिर्फ सुनने में ही अजीब नहीं है बल्कि देखने में भी अजीब होता है क्योकि ये एक अनोखे प्यार का सबूत है ,हर बच्चे की माँ उसके लिए दुनिया की सबसे अच्छी माँ होती है मेरी भी मम्मी सबसे अच्छी थी मेरे लिए वो गरम खाना देना, मेरे कपडे धुलना ,मेरी साडी इच्छाए पूरी करना और सबसे बड़ी बात अगर हमे कोई दिक्कत है तो बिना उनको बताये समझ जाना और मुझे नहीं लगता की एक माँ के अलावा ये कोई और जान सकता है पर कभी-कभी मेरी ही तरह कुछ लोगो की किस्मत बहुत बुरी होती है जिनको उंसी कभी-कभी इतना दूर हो जाना पड़ता है की छह कर भी मिल पाना मुमकिन नहीं हो पाता है नै अजीब बात पर इससे ये कही नहीं साबित होता है की बच्चो के लिए माँ का और माँ के लिए बच्चो का प्यार कम हो जाता है खैर ..........एहसास होता है कभी कभी un baato का भी .......
                    "sakht रातो में भी आसान  सफ़र लगता है ,
                      ये मुझे माँ की दुआओं का असर लगता है ,
                       एक मुद्दत से मेरी माँ सोई नहीं ,
                         जब मैंने एक बार कहा था की मम्मी मुझे दर लगता है.........."
                 बच्चे अगर अच्छे है तो भी नाम होता है माँ का और अगर ख़राब है तो भी नाम होता है माँ का ..........
                                " इस चालबाज़ दुनिया में आँखे खोली तो तुम थी
                                 दुनिया के सफ़र में जब भी हिम्मत डोली तो तुम थी
हा तुम ही थी ऊँगली पकड़ कर जिसने चलना सिखाया
सख्त हवा के झोंको से हर पग पर बचाया था
तेरा ही आँचल था पहले होठो में दबाया था
                                   सबसे पहले जब भूख लगी ,तुझको ही बुलाया था
चूसा था अंगूठा तब मानो यु अमृत पिया
भीगी पलकों में आंसू थे तब तुने हँसा दिया
हर गम को सीने में तुने यु दबा लिया
                                       मानो इस दुनिया में मुझको कोई गम ना दिया
                                        लगता है मुझको ऐसा की तू ही मेरी खुदाई थी
तेरे आँचल के नीचे मेरी साड़ी दुनिया समाई थी "

An afternoon stroll
 माँ कुछ यु ही चलना सिखाती है

कहने को तो  बहुत कुछ है पर कहा तक कहा जाए क्योकि ये बाते तो ऐसी है जिंसेसे  कोई भी अनजान नहीं है क्योकि जहा चार लग बैठे हो वही बात होती है घर की और फिर ऐसा कहा है की बात हो घर की और मम्मी छूट जाए क्योकि होता कुछ ऐसा है मेरी मम्मी खाना बहुत अच्छा बनती है तो कही मेरी मम्मी ने खिलोने दिलाये तो कभी मेरी मम्मी से लड़ाई हो गई ,कभी कोई कहता है की मेरी मम्मी आलू के पराठे अच्छे बनती है तो कोई कहता की छोले हर बात में मम्मी आ ही जाती कभी चाह कर तो कभी अनचाहे भी , कॉलेज से घर जाना है तो मम्मी के हाथ का खाना पानी चाहिए या फिर घर से कॉलेज तब भा मम्मी ही याद आती है है न अजीब बात एक ही ओरत के कितने रूप होते है माँ,बेटी,बाहें,तो कभी बीबी
वहत अबाउट उ?
            याद आता है कभी हमारे दर्द में उनको भी दर्द को महसूस करते और देखा है वो भी मेरे होठो पर मुस्कराहट देख उनके होठो पर भी हसी आती देख ,अब आता है याद कितनी उम्मीदों के साथ वो हमे पालती पोषती है.
"होती है रिश्तो में भी एक अजीब कशिश "

1 comment:

Mukul said...

अच्छा लिखा है