पैसे की शुरुवात होती है हमारे जन्म से और अंत होता है हमारे अंत के साथ
पैसा जिंदगी की जरुरत है और ये बहुत ही कड़वा सच है जिसे बहुत लोग मानने से भी इनकार करते है वो शायद इसलिए क्योकि कहा गया है की "सच कड़वा होता है " कोई माने या न माने और फिर किसी के मानने से सच झूठ और झूठ सच नहीं हो जाता .पैसे के पीछे तो दुनिया का हर शख्स भागता है ,फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर चहिये तो सभी को पैसा बच्चे को चाकलेट के लिए माँ बाप को उसकी पढाई के लिए बच्चा थोडा बड़ा हुआ तो साईकिल ,खिलोने फिर कुछ सालो बाद गाडी और इन फ़र्माइसो को पूरा करने के लिए माँ बाप को दुगनी और कभी कभी तिगुनी महनत की जरुरत भी पड़ जाती है . अमीर को भी पैसा चाहिए और गरीब को भी पैसा चाहिए और इसी भागा दौड़ी में अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा है जिससे जिनके पास ज्यादा पैसा है वो लोग कम पैसे वालो का शोषण होता है भले ही ये किताबी बाते लगे लेकिन ये सच है हम इसको किताबी बाते इसलिए कह सकते है क्योकि हम जिस दुनिया में जीते है वह पर लोग आँखे बंद कर के ही जीना पसंद करते है बल्कि ऐसा नहीं होना चाहिए अक्सर देखा गया है की अगर किसी दो पहिया वाले की और एक कार वाले की टक्कर होती है तो उसमे दोषी हमेशा दो पहिये वाली गाड़ी की ही गलती होती है और अगर दो पहिये वाली गाड़ी और साईकिल की टक्कर हो तो उसमे दोषी साईकिल वाला ही हमेशा होता है क्योकि हर इंसान अपने पैसो के दम पर अपने से गरीब को दबाना ही चाहता है शयद ये प्रकृति का नियम ही है जैसे कुत्ता बिल्ली को खाता है बिल्ली चूहे को और चूहा फिर किसी और को खाता है ये चक्र यू ही चलता रहता है सबसे बड़ा सवाल क्या एक अमीर इंसान की नजरो में एक गरीब इंसान इंसान नहीं रह जाता है ? एक गरीब का खून बहता है तो उसको अहमियत नहीं दी जाती और वही अगर एक अमीर का एक बूँद ही निकल आये तो हाय तोबा हो जाती है और फिर मुझे नहीं लगता की गरीब के शरीर में खून की जगा पानी होता है और फिर जिसे मानना है माने क्योकि ये स्वतंत्र विचारो की दुनिया है कोई भी कुछ भी सोच और बोल सकता है बिना किसी बंधिश केअधिकार सभी के बराबर है सविधान के अनुसार जिसे हम सभी समानता का अधिकार कर कर जानते है लेकिन मुझे जहा तक लगता है ये है सिर्फ किताबी बाते वो इसलिए क्योकि जहा पर समानता की बात आती है द्व्वेश भेद भाव की बात आती है अमीर और गारी की बात आ ही जाती है और फिर जब अमीर गरीब की बात आई तो वैसे ही गरीब को पैसा दे कर और अगर पैसा नहीं लिया दिया गया तो धमकी दे कर द्र धमका दिया जाता है और फिर उससे जो भी काम करवाना है करवा लिया जाता है ...................है न अजीब बात सोचो तो अजीब और अगर ना सोचो तो कही कुछ नहीं होता दुनिया बहुत अच्छी है
एक बच्चा भी पढाई करता है तो उसका मकसद पैसा ही होता है भले ही वो माने या न माने पर आखिरी समय जब पढाई खत्म होने वाली होती है तब लगता है की नहीं यार कम से कम अब तो कुछ कमाना ही चाहिए कब तक माँ बाप के पैसे उड़ाते रहेंगे तब समझ में आता है की पैसो की कीमत क्या है जब हम घर में पैसे मांगते है और मम्मी का जवाब आता है की कितना खर्च करते हो फालतू के खर्चे बंद करो वरना पापा से बोल दूंगी तब भी लगता है की कम से कम अब तो कमाना ही चाहिए यार.............कभी कभी हमारे सर हम सभी से मजाक में बोलते है की क्यों मजा आया क्लास में और जब बच्चो का जवाब हा आता है तो कहते है की बच्चो मुझे पैसे ही बोलने के मिलते है ,पहले लगता था की ये एक मजाक है पर नहीं इस मजाक में जिंदगी की पूरी खुशिया और गम मिलते और बिछड़ते है
है सच पर कड़वा है
अपना बना सको तो सच्चा है,
हर सच की अपनी कहानी
और अपना फ़साना है
लव यू लाइफ